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जागरूकता फैलानेवाली फिल्म है “काशी अमरनाथ”  —- निरहुआ

भोजपुरी सिनेमा  के सबके चहेते सितारे दिनेश लाल यादव  (निरहुआ) सदैव चर्चा में रहते हैं । लेकिन, इस वह कुछ और कारण से चर्चा में आए हैं। प्रियंका चोपड़ा की अम्मा डॉ. मधु चोपड़ा की दूसरी भोजपुरी फिल्म “काशी अमरनाथ”  में रिपीट होने के लिए वह विशेष चर्चा में हैं। पहली फिल्म  “बम बम बोल रहा है काशी” कैैसी जायेगी और प्रियंका चोपड़ा की नज़र में क्या छवि बनेगी, यह चिंता का विषय था। पर, छवि ऐसी बनी कि दिनेश का नाम काशी ही पड़  गया। मधुजी निरहुआ को काशी कह कर ही पुकारती हैं। आलम ये कि दूसरी  फिल्म का नाम काशी से ही शुरू किया… “काशी अमरनाथ”। फिल्म दीपावली मेंं प्रदर्शित हो रही है। दिनेश से हुुई बातचीत के अंश :

◆  सुना है, मधुजी (चोपड़ा) आपको सेट पर काशी ही बुलाती हैं ?

★  हाँ, सच है और मेरे लिए यह बहुत बड़ा सम्मान है।

◆ इसका मूल कारण क्या है ?

★ उनके साथ जब मैं  “बम बम बोल रहा है काशी” कर रहा था, तब हम इस बात का खयाल रखते थे कि कुछ भी ऐसा ना हो जिससे पी सी मैैैम (प्रियंका चोपड़ा) और उनकी माताजी (डॉ. मधु चोपड़ा) की दृष्टि में भोजपुरी सिनेमा की जगहंसाई  हो। इस कार्य में फिल्म के लेखक निर्देशक संंतोष मिश्रा ने भी बहुत परिश्रम किया और फिर यूनिट ने उनका दिल जीत लिया। शूटिंग के दरम्यान ही मैं काशी बन गया था।

◆  “काशी अमरनाथ”  कैसी फिल्म है ?

★  यह एक जागरूकता फैलानेेेवाली फिल्म है।

◆  किस तरह की जागरूकता ?

★  एक भूखंंड पर मैं अस्पताल बनाना चाहता हूँ। मैं काशी हूूँ। तभी अमरनाथ (अमरनाथ) उस ज़मीन पर गुटखा बनाने की फैक्टरी बनानेे  के लिए दबाव बनाता है। लेकिन, बात सही गलत पर आकर ठहरती है। मैं जीवनदायी उद्देश्य के लिए भूखंड लेना चाहता हूँ, जबकि सामनेवाला मौत का सामान बनाने का प्रयास करता है। हमारी जीत होती है।हमें  जनसमर्थन भी मिलता है।लोग जागरूक होने लगते हैं।

◆ अभिनेेेता के तौर पर आप दर्शकों को नया क्या देनेवाले हैं?

★ इसमें मैंं एक संयमशील नौजवान के रूप में नज़र  आऊंगा, जो समाज के लिए कुछ करना चाहता है। युवा पीढ़ी का रोल मॉडल हूँ।

◆  और भोजपुरी के लटके झटके कितने हैं ?

★  नो लटका झटका। नो आईटम गीत। संदेशपूर्ण फिल्म।यह फिल्म भोजपुरी सिनेमा में आ रहे बदलाव का प्रतीक होगी। महिला दर्शकों को थियेटर तक खींच लायेगी यह फिल्म। जो लोग भोजपुरी सिनेमा के भविष्य को लेकर संशय में थे, उनको भरोसा दिलानेवाली है  “काशी अमरनाथ”।

◆  भोजपुरी फिल्मों में दक्षिण की फिल्मों का प्रभाव भी देखने को मिलने लगा था ?

★ यह तो अच्छी बात है। हाल के वर्षों में जितनी हिन्दी में हिट फिल्में हैं, वे या तो साऊथ की रीमेक थीं अथवा उससे प्रभावित। दक्षिण का एक्शन सबको पसंद आता है।

  —- Uday Bhagat (PRO)

 

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