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मुंशी प्रेमचंद की दो कहानियां “कफ़न”और “निर्मला” अब बड़े परदे पर
फिल्म ”भाग्य ना जाने कोई” की निर्मात्री सुशीला भाटिया और डायरेक्टर दिलीप गुलाटी हैं
महान साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद की दो मशहूर कहानियों “कफ़न”और “निर्मला” को अब बड़े परदे पर पेश करने की कोशिश की गई है. इस फिल्म का नाम होगा ”भाग्य ना जाने कोई”. इस फिल्म की निर्मात्री सुशीला भाटिया हैं जिन्होंने कई धारावाहिक बनाए हैं. मुंबई के अँधेरी स्थित द व्यू में इस फिल्म का जब फर्स्ट लुक लांच किया गया तो यहाँ फिल्म की प्रोडूसर सुशीला भाटिया ने विस्तार से अपनी फिल्म के संदर्भ में बताया.
मुंबई के अंधेरी मे द वियू में एस आर के म्यूजिक द्वारा इस फ़िलम का म्युझिक लांच किया गया।. हिन्दी फ़िल्म ”भाग्य ना जाने कोई” मे अभिनेता राजपाल यादव और अभिनेत्री रूपा मिश्रा सहित नेथरा रघुरमण, साधू मेहर, राजीव वर्मा , अनीता सहगल इत्यादी हैं। फ़िल्म का ट्रेलर व् म्यूजिक लॉन्च भव्य समारोह मे आयोजित किया गया ।इस फिल्म के डायरेक्टर दिलीप गुलाटी हैं।स्टेटस एयर विजन प्राइवेट लिमिटेड के बैनर तले बनी इस फिल्म के लेखक पारस जैसवाल, डीओपी हेमंत महेश्वरी हैं. फिल्म के संगीतकार धीरज सेन, वनराज भाटिया, उदय मजुमदार हैं जबकि सिंगर्स में कल्पना, उस्ताद असलम खान, शबाब साबरी, रेखा राव, साधना सरगम हैं. फिल्म निर्मात्री सुशीला भाटिया ने खुद इसके तीन गीत लिखे हैं जबकि दुसरे गीतकारो में धीरज सेन, निशांत भारद्वाज इत्यादि हैं.


फिल्म निर्मात्री सुशीला भाटिया का मानना है की इस मूवी को बनाने के दौरान यह पूरा प्रयास किया गया है की मुंशी प्रेम चाँद की कहानियों को पूरी ईमानदारी से परदे पर पेश किया जाए. कहानी में साहित्य बचा रहे इसकी कोशिश है. उन्होंने कहा कि राजपाल यादव की इमेज भले ही एक कॉमेडियन की है लेकिन उन्होंने इसमें एक गंभीर किरदार अदा किया है और जब उन्होंने इस किरदार को परदे पर उतारा तो लगता है की वह एक वर्सटाइल एक्टर हैं जो हर किस्म के चरित्र को बखूबी निभाने की प्रतिभा रखते हैं. फिल्म की कहानी गाँव के दो ऐसे बाप बेटे से शुरू होती है जिन्हें अपने निकम्मेपन के कारण कई परेशानियाँ होती हैं. सन्देश यह है कि इन्सान को कर्मवीर बनना चाहिए तभी वह अपनी जिंदगी को संवार सकता है. दूसरी कहानी में एक पैसे वाले वकील की बेटी निर्मला है जिसकी शादी बड़े घराने में होने वाली है लेकिन हालत ऐसे हो जाते हैं कि उसकी शादी चार बच्चो के बाप के साथ हो जाती है. इसमें मैसेज यह है कि पैसे से किस्मत नहीं बदलती. मुंशी प्रेमचन्द की इन दो कहानियों को सुन्दरता से एक ही फिल्म में समेटा गया है.

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